चले चल रहे हैं तेज़ बहुत तेज़,
Facebook पर दौड़ते अंगूठे की रफ़्तार से।
अब हर्फों से लफ्ज़ हार चुके
दिन लद गए मुखातिब गुफ्तार के।
रौनक है बड़ी ज़िन्दगी में
हर पल चेहचहाते मोबाइल से,
बशर नहीं मिलता कोई लेकिन
जो बांट ले ज़िन्दगी के मिसाइल से।
Facebook पर दौड़ते अंगूठे की रफ़्तार से।
अब हर्फों से लफ्ज़ हार चुके
दिन लद गए मुखातिब गुफ्तार के।
रौनक है बड़ी ज़िन्दगी में
हर पल चेहचहाते मोबाइल से,
बशर नहीं मिलता कोई लेकिन
जो बांट ले ज़िन्दगी के मिसाइल से।
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