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Showing posts from August, 2017
अति ही हो गई आज तब, और कोप-दामिनी से रात जगी.. जब राजवाटिका की एक कली की अस्मिता पे गहरी घात लगी। "हाय शापित ये नरपुत्र सभी अब भय सारा खो चुके हैं क्या ?" तरकश में ढूंढते क्या बाण का...